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पूज्य – PUJYA
मोक्षलक्ष्मी अंतरीची मम सुनेत्रा नित्य दर्शन देय मज आतम सुनेत्रा पुण्य पाठी रम्य सृष्टी थांबलेली आत्मश्रद्धा सावरे कायम सुनेत्रा रान हिरवे नभ निळाई पांघरोनी भाव अक्षर वाचते आगम सुनेत्रा भूत सुंदर बिंब सुंदर नेत्र मिटता वर्तमानी कोंडतोना दम सुनेत्रा पुष्पमाळा अष्टद्रव्यें पूज्य मूर्ती शुद्ध हृदयी गा सुनेत्रा रम सुनेत्रा
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सुई – SUI
खिशावर सुनेत्रा लिहावी गझल खिशावर सुनेत्रा खुलावी गझल सुनेत्रा सुनेत्रा सुनेत्रा म्हणत खिशावर सुनेत्रा तपावी गझल सुनेत्रा तरल या जलावर उभी खिशावर सुनेत्रा झुलावी गझल सुनेत्रात दृष्टी सुनेत्रा खरी खिशावर सुनेत्रा दिसावी गझल सुनेत्रा सुईने तुझ्या नव निळ्या खिशावर सुनेत्रा विणावी गझल