कापुराचा हाती चुरा – KAPURACHA HATI CHURA


This poem is parody poem or vidamban kavita. Original poem is ‘Yere ghana yere ghana, nhaau ghal mazya mana’, written by Aarati prabhu(Khanolkar).

साम्बारतो फळे विळा
अंगी त्याच्या लाख कळा

पातभाज्या मस्त ताज्या
जांभूळल्या फूलभाज्या
येरे येरे बाग म्हणे
आड येतो कांदा मुळा

सोडुनिया रीतीभाती
पेटणार काळी माती
विजेसंगे पावसा तू
पाड नक्षत्रांचा सडा

सत्य आता सांगनारे
मान कषाय त्यागनारे
डोळियांच्या दीपज्योती
कापुराचा हाती चुरा


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