Tag: ग़ज़ल

  • गमछा – GAMCHHA

    गम छा गया …. गया रे …राजी बिवी.. मिया रे … जल छान लो कुएका ..बन मे कहे सिया रे … गमछा नहीं पुराना..गमछा धवल नया रे … गा गा ल गा ल गा गा..सरगम पिया पिया रे… रंगीन ये समा है ..गाता मधुर जिया रे … साकी सरस्वती है ..दीपावली दिया है … हैं…

  • लिखना मना नहीं है (ग़ज़ल) – LIKHANAA MANAA NAHEE HAI

    कागज ख़राब है तो भी लिखना मना नहीं है मैली किताब है तो भी लिखना मना नहीं है लिखनेसे दिल भरेगा सदियोंसे लिख रहीं हूँ मुरझा गुलाब है तो भी लिखना मना नहीं है साकी खड़ी है कबसे हाथोमे जाम लेकर स्याही शराब है तो भी लिखना मना नहीं है हम है दिवाने आपके क्या…