थरथर गात्री – THARTHAR GAATREE


पाऊस धो धो नऊ रात्री …
घट भरता थरथर गात्री….
धारा झरती वेगे झरझर …
स्वच्छ जाहले पदपथ परिसर
काम तडीला पूर्णच नेले….
हळदी भाळी कुंकुम ठेले…
उभा वृक्ष हा शरदात शमी ….
नीलकमल फुल उमलले नमी … ..
वर्तमान नव सृष्टी सुंदर ….
दिव्य लाभता दृष्टी सुंदर …..
मयुर पंख कृष्ण जलद गगनी …..
दिशादिशांतुन घन शंख ध्वनी …..
या या चक्रातुन सुटण्या या !!!
प्रेमरुपी सोने लुटण्या या !!!!


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