साँस लेनेकी ताकद ही नहीं रही तो प्राणवायूकी क़िस्त क्या करेगी….
ताकद एक दो दिनमे कैसे बढ़ेगी…
सालोंसे मेहनत करनी पड़ती है फेफडोंकी ताकद बढ़ानेके लिए ..
आँगनमे हसते खिलते हरेभरे पेड़ क्यों काट डालते है ये लोग.. अचानक..
पेड़ोंसे भी शायद डरते है क्या लोग… पेड़ क्यों काटा? फल किसने तोड़े? किसने खाये?..
.कोई सवालही नहीं पूछता… सवाल पूछनेको भी डरते है …
या जवाब देनेको डरते है…
मुँह बंद करो…
आँख बंद करो…
अब कानभी बंद करके बैठो…
उतनाही बाकी रहा है…
क्या क़िस्त… क्या अर्थ… क्या अदा…
हम तो सिर्फ अपनी आत्मापर फ़िदा। ..