गहराई – GAHARAAI


आँगनमें परछाई है
होश उड़ाने आयी है

बिखरे बिखरे बाल घने
मत कहना हरजाई है

आहटसे क्यूँ डरते हो
सांसोमें पुरवाई है

जी भरके पी ले जानम
जाम छलकता लायी है

अर्थ जानकर पढ़ लेना
ग़ज़लीयत गहराई है


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