बरसो सावन -BARASO SAAVAN


बरसो सावन झूमके
ना बैठों तुम रूठके

सावन भादो सांवले
लगे लहरने घूमके

क्या कहती ये मोरनी
नाचो सब दुःख भूलके

मिलने आये आपसे
बहते झरने दूरके

बिजुरी बोले पेड़से
ना देखो यूँ घूरके

मरगट्ठोंकी शान है
शेर जयसिंगपूरके

सुनो ‘सुनेत्रा’ बात ये
ले लो सब गुण फूलके

ग़ज़ल मात्रावृत्त (मात्रा १३)


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