ग़ज़ल(बात मनकी) – GHAZAL (BAAT MANKEE )


हम खिले तो फूल भी खिलने लगे है
डालपर पंछी खुशीसे गा रहे है

रंग पत्तोंके हरे मन साँवलेसे
बरसते है झूमके जल से भरे है

आसमांसे क्यूँ कहू मै बात मनकी
आसमांके कान सावनके झुले है

मै करुँगी बात मेरी आतमासे
आतमासे कर्म मेरे जुड़ गए है

सुन सुनेत्रा लिख सुनेत्रा बोल ना मत
देखनेवाले मुझे क्यूँ कह रहे है

गालगागा/ ४ वेळा


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