अप्पदिवो मम अलख निरंजन
नय दृष्टी सम अलख निरंजन
कर्मफळे रसमय मिळवाया
रत्नत्रय दीपक उजळाया
व्यवहाराचा जम बसवाया
मुक्तछ्न्द तम भ्रम पळवाया
जीवाचा अभ्युदय व्हाया
अप्पदिवो मम अलख निरंजन
नय दृष्टी सम अलख निरंजन
कर्मफळे रसमय मिळवाया
रत्नत्रय दीपक उजळाया
व्यवहाराचा जम बसवाया
मुक्तछ्न्द तम भ्रम पळवाया
जीवाचा अभ्युदय व्हाया