हरित कंच अक्षरे शुभ शुभ शुद्धमती
सिद्ध लाल जाहले शुभ शुभ शुद्धमती
ओठ अचल बोलती भाळावर बिंदू
नेत्र भाव बोलके शुभ शुभ शुद्धमती
ललल गाल गालगा गागागागागा
अहं सोड माळणे शुभ शुभ शुद्धमती
जलद कृष्ण वर्षती गडगडती गगनी
करूयात पारणे शुभ शुभ शुद्धमती
बिंब आपले खरे आत्मस्वरुप आहे
त्यांस आत पाहणे शुभ शुभ शुद्धमती