ओळख – OLAKH


वेदीवरली गजान्तलक्ष्मी
फुगून रुतली गजान्तलक्ष्मी

अंधपणाने करून प्रीती
मरुन जन्मली गजान्तलक्ष्मी

कबूल कर तू चुका स्वतःच्या
तुझीच चुकली गजान्तलक्ष्मी

आत्मपरीक्षण स्वतः स्वतः कर
ओळख असली गजान्तलक्ष्मी

केवळ हो हो शून्य आचरण
मला न पटली गजान्तलक्ष्मी


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